Rakesh rakesh

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बसंती प्रेम

दैनिक प्रतियोगिता 3/11/ 2022 दिन बृहस्पतिवार 

बसंती प्रेम 
जयपुर पिंक सिटी में श्वेता की हवेली  बहुत सी हवेलियों मैं  बहुत ही खूबसूरत थी। श्वेता रंग रूप कद काठी से ज्यादा खूबसूरत नहीं थी, पर वह अपने स्वभाव से और कर्म से बहुत ही सुंदर थी।इस बात के लिए श्वेता के पिता गर्व महसूस करते थे। 
बसंत ऋतु के मौसम में श्वेता के  पिता के मित्र अपनी पत्नी पुत्री और पुत्र के साथ जयपुर घूमने आते हैं। और वह सब श्वेता के पिता के कहने पर उनकी हवेली में ही रुकते हैं। 

श्वेता  के माता-पिता श्वेता और श्वेताकाबड़ाभाईऔरभाभी   उनकी बहुत खातिरदारी करते हैं।
 
इन 10-15 दिनों में जाने कब और कैसे श्वेता को अपने पिता के मित्र के बेटे अविनाश से प्यार हो जाता है। अविनाश  पेशे से पत्रकार था। और श्वेता एक चित्रकार इतने बड़े इज्जतदार खानदान से रिश्ता आने की वजह से अविनाश श्वेता से शादी कर लेता है।

 शादी  के  कुछ दिनों के बाद ही श्वेता एक तरफा प्यार की आंगन में जलने लगती है। वह अपने रंग रूप की वजह से अविनाश को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर पाती। इस वजह सेअविनाश के पास ना तो श्वेता के लिए समय था। और ना ही प्यार।
 दोनों का रिश्ता टूटने की नौबत आ जाता है। इसलिए अविनाश श्वेता की मर्जी से उसे उसके मायके छोड़ने जाता है।
 रास्ते में कार खराब होने की वजह से श्वेता के घर पहुंचने में आदी
रात  हो जाती है। और दोनों को रास्ते में कुछ बदमाश लूटने के इरादे से घेर लेते हैं। वह अविनाश को बहुत पीटते हैं। और उनकी कार सारे पैसे श्वेता के जेवर सब छीन लेते हैं। पर अविनाश को बचाने के लिए श्वेता अपनी जान की बाजी लगा देती है। और श्वेता बुरी तरह घायल हो जाती है।
अविनाश बहुत ही समझदार और सुलझ हुआ  युवक था। इसे सबसे पहले पुलिस को रिपोर्ट करता है।
और पास के एक गांव में शरण लेता है। फिर गांव के छोटे से डॉक्टर से श्वेता को फर्स्ट एड दिल दिलबाता  है। और खुद फर्स्ट एड लेता है। 

गांव में जिस महिला के घर  इन दोनों ने शरण ली थी।  उस महिला को जब यह पता चलता है कि यह दोनों आपस में साथ नहीं रहना चाहते और अपनी शादी को तोड़ना चाहते हैं। और यह पता चलता है कि अविनाश एक पत्रकार है। तो उसे  कबीर पत्रकार की प्रेम कहानी याद आ जाती है। वह महिला श्वेता के साथ बलात्कार की घटना के बाद अविनाश और श्वेता के रिश्ते को मजबूत करने के लिए कबीर पत्रकार की प्रेम कहानी सुनाती है। 
और वह बताती है, की  गांव के बाहर जो दो समाधि है, उनमें  पहली मीरा की है और दूसरी उसके प्रेमी कबीर पत्रकार की  मीरा और कबीर पत्रकार एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। पर कबीर पत्रकार समय पर नहीं पहुंच पाता इस वजह से मीरा का शराबी जुआरी  पिता पैसों के लालच में मीरा की शादी एक अमीर बूढ़े व्यक्ति से करवा देता है। 
 मीरा के बूढ़े पति की शादी के 2 महीने बाद ही मृत्यु होने की वजह से धर्म के कुछ ठेकेदारों ने मीरा को बूढ़े पति की अर्थी के साथ जिंदा सती कर दिया था, मतलब कि जिंदा जला दिया था।
 कबीर पत्रकार ने सब को जेल पहुंचाने के बाद स्वैच्छिक रूप से पद पदवी  पैसे कमाने की इच्छा के बिना, बिना किसी के दबाव के स्वैच्छिक रूप से समाज की बुरी कुर्तियों के खिलाफ एक मुहिम छेड़ी थी।
जैसे सती प्रथा बाल विवाह छुआछूत आदि के खिलाफ उनके इस आंदोलन में जनता समाचार पत्रों मीडिया ने भी बहुत सहयोग दिया था।
 और सरकार ने इन कुरीतियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया था। 

कबीर पत्रकार ने अपना पूरा जीवन मीरा को समर्पित कर दिया था। और अपनी अंतिम सांस मीरा की समाधि पर ली थी।
 तभी वहां पुलिस आ जाती है। और श्वेता उन बदमाशों के चित्र बनाकर पुलिस को दे देती है। आज अविनाश श्वेता की आत्मा की सुंदरता और उसके गुणों को पहचानता है। अविनाश  प्यार से श्वेता को अपने सीने से लगा लेता है। अपने लिए अविनाश की आंखों में प्यार देखकर श्वेता को बहुत सुकून और खुशी मिलती है।
 उस दिन के बाद अविनाश  पद   पदवी पैसों की इच्छा रखे बिना और बिना किसी के दबाव के स्वैच्छिक रूप से आंदोलन शुरू कर देता है। महिलाओं पर अत्याचार बाल विवाह सती प्रथा आदि के खिलाफ। इस आंदोलन में श्वेता अविनाश का पूरा साथ देती है। श्वेता की उन बदमाशों की चित्रकारी के कारण वह बदमाश जल्द ही पकड़े जाते हैं। और श्वेता अविनाश के  जीवन  बसंती प्रेम की खुशबू महक ने लगती है।

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5 Comments

shweta soni

05-Nov-2022 02:18 PM

बहुत सुंदर रचना 👌

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Abhinav ji

04-Nov-2022 09:35 AM

Very nice

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Rajesh rajesh

04-Nov-2022 01:32 AM

बहुत अच्छी कहानी है।

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